तिल या तिल तेल के उपयोग –

नास्ति तैलात् परं किञ्चिदौषधं मारुतापहम्|
व्यवाय्युष्ण गुरु स्नेहात् संस्काराद्वलवत्तरम्||
गणैर्वातहरैस्तस्माच्छतशोऽथ सहस्रशः|
सिद्धं क्षिप्रतरं हन्ति सूक्ष्म मार्ग स्थितान् गदान्||

1) तिल भारी, स्निग्ध, गरम, कफ-पित्त-कारक, बलवर्धक, केशों को हितकारी, स्तनों में दूध उत्पन्न करनेवाला, मलरोधक और ‘वातनाशक’ है ।

2) तिल का तेल तनाव से संबंधित लक्षणों को शांत करता है

3) तिल के तेल में मौजूद ऑक्सीकरण रोधक और बहु-असंतृप्त वसा रक्त-चाप को नियंत्रित करने में मदद करता है

4) तिल में पोषक तत्‍व पाये जाते हैं – जैसे, प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्‍प्‍लेक्‍स आदि।

– सर्दियों में इसे खाने से शरीर को बहुत ऊर्जा मिलती है।

– सर्दियों में तेल की मालिश करने से ठंड से बचाव होता है।

7) तिल और मिश्री का काढ़ा बनाकर खांसी में पीने से जमा हुआ कफ निकल जाता है।

8) तिल का लड्डू भी बनाया जाता है, इसे खाने से शरीर में ताकत आती है।

9) तिल का तेल यदि अधिक पिया जाय,तो रेचक होता है।

10) तिल या तिल के तेल का मंदिरों में देवताओं के सामने रखे दिये में प्रयोग किया जाता है।

11) प्राचीन समय से खूबसूरती बनाये रखने के लिए तिल का प्रयोग किया जाता रहा है।

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