आँखों की समस्या और एक आयुर्वेद उपाय – नेत्रतर्पण / अक्षितर्पण
डॉ आनंद कुलकर्णी (MD Ayu.Med.)
डॉ अमृता कुलकर्णी, (BAMS,PGDEMS)
अक्षितर्पण दो शब्दों से मिलकर बना है – अक्षि(नेत्र) + तर्पण | अक्षि से तात्पर्य है आँख और तर्पण का अर्थ है भरना या तृप्त करना | आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत पंचकर्म में आँखों के स्वास्थ्य के लिए इस विधी का इस्तेमाल किया जाता है | अक्षितर्पण नेत्रों के स्वास्थ्य को बनाये रखने और रोगों से दूर रखने की एक कला है | मुख्यतया आँखों की कमजोरी, नेत्त्राभिष्यंद, पलके ठीक से न खुलना, ग्लाकोमा आदि रोगों में अक्षि तर्पण किया जा सकता है एवं इसके परिणाम भी बहुत अच्छे प्राप्त होते है |
अक्षितर्पण की विधि
अक्षितर्पण करने से पहले रोगी के शरीर का शोधन कर लेना चाहिए | रोगी को द्रोणी या टेबल पर पीठ के बल सीधे लेटा दिया जाता है | अब रोगी के आँखों के चारो और उड़द के आटे से बनी पिष्टी से दो अंगुल ऊँची दीवार बनाई जाती है| रोगी की प्रकृति और रोग के अनुसार सिद्ध औषध घृत को एक कटोरी में डालकर गरम पानी के द्वारा पिघलाया जाता है | इस औषध घृत को रोगी के नेत्रकोशो पर पलकों के बाल तक भर दिया जाता है | घृत भरने के बाद रोगी को आंखे खोलने और बंद करने को कहा जाता है | इस प्रकार यह क्रिया अलग – अलग रोग एवं प्रकृति के अनुसार १५ मिनट से २० मिनट तक करवाई जाती है |
अच्छी तरह से अक्षितर्पण होने पर औषध सिद्ध घृत को और उड़द के आटे की बनाई गई पाल को निकाल लिया जाता है | अक्षितर्पण के पश्चात धूमपान करवाया जाता सकता है ताकि घृत के कारण बढे हुए कफ दोष का शमन हो सके | तर्पण ठीक प्रकार से होने पर रोगी के आँखों में प्रकाश सहने की शक्ति आ जाती है एवं आँखे निर्मल दिखाई पड़ती है | तर्पण अगर हीन (ठीक नहीं ) हुआ है तो इसके विपरीत असर दिखाई पड़ता है | अधिक तर्पण होने पर कफज विकार उत्पन्न हो जाते है, रोगी की आंखे भारी और सिरदर्द की शिकायत भी हो सकती है |
अक्षितर्पण करवाने के पश्चात की क्रियाये
रोगी को उष्ण जल से मुंह का प्रक्षालन करने को कहा जाता है | रोगी को धुप , धूल और अधिक प्रकाश वाली जगहों से दूर रखने को कहा जाता है |
अगर आप की भी आँखे कमजोर है, निकट द्रष्टि दोष , दूर द्रष्टि दोष , आँखों से पानी पड़ते रहना , कमजोर आँखे , जल्दी – जल्दी आँखों में इन्फेक्शन होना, धुंधलापन आदि रोगों में अक्षितर्पण एक बेहतरीन विकल्प है | इसलिए इन रोगों में एक बार अपने नजदीकी आयुर्वेदिक क्लिनिक से अक्षितर्पण करवाके देखे |
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